ग्राम सेमलिया में लगभग 5 दशकों से अनवरत श्रीराम लीला का आयोजन, 6-14 दिवसीय धार्मिक मंचन बना श्रद्धा का केंद्र

सेमलिया/सरायपाली — धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक समरसता का अनूठा संगम बन चुका है ग्राम सेमलिया, जहाँ बीते पाँच दशकों से निरंतर श्रीराम लीला का आयोजन किया जा रहा है। यह परंपरा अब केवल एक मंचन नहीं, बल्कि समूचे अंचल की श्रद्धा और सामाजिक एकता का प्रतीक बन चुकी है। हर वर्ष श्रीराम नवमी से प्रारंभ होकर 6 से 14 दिन तक चलने वाला यह आयोजन आसपास के गाँवों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाता है।

रामकथा के प्रमुख प्रसंगों का जीवंत मंचन
इस वर्ष आयोजित 8 दिवसीय श्रीराम लीला में रामायण के विभिन्न कांडों को अत्यंत भावपूर्ण और सजीव मंचन के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।

  • प्रथम दिवस: श्रीराम जन्म (आद्य कांड)
  • द्वितीय दिवस: सीता स्वयंवर व शिव धनुर्भंग (बालकांड)
  • तृतीय दिवस: श्रीराम का वनवास (अयोध्या कांड)
  • चतुर्थ दिवस: सीता हरण (अरण्य कांड)
  • पंचम दिवस: बाली वध (किष्किंधा कांड)
  • षष्ठम दिवस: सीता की खोज व अक्षय कुमार वध (सुंदरकांड)
  • सप्तम दिवस: महिरावण वध (लंका कांड)
  • अष्टम दिवस: तरुणीसेन वध, रावण वध, सीता की अग्निपरीक्षा, भरत मिलन एवं श्रीराम का राज्याभिषेक

ग्रामवासियों का सात्विक जीवन और अनुशासन
पूरे आयोजन कालखंड में ग्रामवासी सात्विक जीवनचर्या का पालन करते हैं। बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक, सभी आयोजन में तन-मन से जुड़ते हैं। धार्मिक अनुशासन, सामूहिकता और सेवा भावना का यह जीवंत उदाहरण आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन गया है।

स्थानीय प्रतिभाओं का उत्कृष्ट प्रदर्शन
रामलीला में अभिनय करने वाले कलाकार सभी स्थानीय निवासी हैं। श्रीराम की भूमिका में नित्यानंद पात्र व मुकेश पात्र, सीता की भूमिका में मधुबन साहू, राजू साहू व सुखसागर साहू, लक्ष्मण की भूमिका में सुशांत साहू व जगन्नाथ साहू, हनुमान की भूमिका में कीर्तन पात्र और रावण के रूप में नानदाऊ यादव, रोहित साहू व प्रेमलाल भोई ने अपने अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अन्य प्रमुख पात्रों में जनक की भूमिका में जगन्नाथ साहू (कंपनी) सहित महेन्द्र पात्र, रमेश साहू, विनोद साहू का योगदान सराहनीय रहा।

व्यवस्थाओं में सामूहिक सहभागिता
श्रीराम लीला के संपूर्ण आयोजन — मंच सज्जा, प्रकाश व्यवस्था, ध्वनि, वाद्ययंत्र, भोजन आदि — में ग्रामवासियों की सामूहिक भागीदारी रही। विरेन्द्र साहू, अर्जुन साहू समेत अनेक ग्रामीणों ने विभिन्न व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी संभालकर आयोजन को सफल बनाया।

एक पीढ़ियों को जोड़ती परंपरा
ग्राम सेमलिया की यह सतत परंपरा आज की युवा पीढ़ी के लिए यह संदेश है कि धार्मिक आयोजनों के माध्यम से समाज में नैतिकता, संस्कृति और एकता को जीवंत रखा जा सकता है। श्रीराम लीला आज यहाँ केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि जन-जन की आस्था, समर्पण और संस्कृति की पहचान बन चुकी है।

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