लापरवाही की खुली पोल : बर्बादी की कगार पर “हरा सोना”

phuljharnews.com Arun Sahu 9827224664


बसना
“हरा सोना” के नाम से प्रसिद्ध तेंदूपत्ता ग्रामीण अंचल में रोजगार और आजीविका का प्रमुख साधन माना जाता है। लेकिन विभागीय लापरवाही और रखरखाव की कमी के चलते यह बहुमूल्य संपत्ति अब बर्बादी की कगार पर पहुँच चुकी है।

बसना वन परिक्षेत्र के अंतर्गत बड़ी मात्रा में तेंदूपत्ता खराब होकर ढेरों में पड़ा हुआ है। हालत यह है कि संग्रहण सीजन समाप्त होने के बाद भी इनका संरक्षण नहीं किया गया, जिससे पत्ते सड़ने और बर्बाद होने लगे हैं। यह स्थिति सीधे-सीधे ग्रामीणों की मेहनत और उनके श्रम का अपमान है।

क्षेत्र प्रभारी का गैरजिम्मेदाराना रवैया
जब इस गंभीर मुद्दे पर क्षेत्र प्रभारी स्वरूप प्रधान (डीएम) से सवाल किया गया तो उन्होंने लापरवाही भरे अंदाज़ में कहा –
“सीजन में देखता हूँ, अभी सीजन जा चुका है, इसकी मुझे जानकारी नहीं है।”
यह बयान साफ तौर पर विभाग की उदासीनता और जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने का प्रमाण है।

ग्रामीणों की मेहनत पर पानी
गौरतलब है कि गांव की माताएं और बहनें दिन-रात मेहनत करके तेंदूपत्ता संग्रह करती हैं। इन्हीं पत्तों की बिक्री से ग्रामीणों को आर्थिक संबल मिलता है। लेकिन विभाग की लापरवाही और उचित रखरखाव न होने से उनकी मेहनत बेकार जाती दिख रही है।

ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि तेंदूपत्ता के संरक्षण और रखरखाव के लिए ठोस व्यवस्था बनाई जाए। साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों पर जवाबदेही तय की जाए, ताकि “हरा सोना” व्यर्थ न होकर वास्तव में ग्रामीणों की आजीविका का सहारा बने।


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