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शासन और सहकारिता विभाग की लापरवाही से किसान बेहाल, बारिश की कमी के बीच खाद संकट ने बढ़ाई चिंता
फुलझर। खेती-बाड़ी के इस सीजन में जब किसानों को सबसे अधिक खाद की जरूरत है, उसी समय शासन और सहकारिता विभाग की लापरवाही से फुलझर क्षेत्र के किसानों को भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है। शासन द्वारा निर्धारित दर 265 रुपये प्रति बोरी यूरिया है, लेकिन खाद की उपलब्धता न होने के कारण किसान मजबूरी में खुले बाजार से 600 से 800 रुपये तक की दर पर यूरिया खरीदने को विवश हैं।
कुरचुंडी समिति से भी नहीं मिली राहत किसान त्रस्त
प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति कुरसुंडी (पंजीयन क्रमांक 856) के अनुसार समिति द्वारा अब तक 516 प्रतिशत सदस्यों को नगद ऋण वितरण किया जा चुका है। इसके बावजूद केवल लगभग 200 किसानों को ही खाद उपलब्ध हो पाया है। किसानों का आरोप है कि समितियों में खाद वितरण पर 20% तक ब्याज वसूला गया है।
वर्तमान में किसानों की ओर से 3000 बोरी यूरिया और 2000 बोरी डीएपी की मांग दर्ज की गई है। किसानों ने बताया कि डीडी देने के बाद भी आज तक खाद समितियों तक नहीं पहुंचा है, जिससे वे बेहद परेशान हैं।
फुलझर न्यूज। फुलझर क्षेत्र में किसानों को खाद की संकट
🌾 किसानों पर खाद संकट की मार
265 की यूरिया 700–800 में खरीदने को मजबूर, सहकारिता विभाग की लापरवाही पर फूटा गुस्सा
फुलझर। बारिश की कमी से जूझ रहे किसानों पर अब खाद संकट ने दोहरी मार डाल दी है। शासन द्वारा निर्धारित 265 रुपये की यूरिया समितियों में उपलब्ध नहीं होने से किसान खुले बाजार से 600 से 800 रुपये प्रति बोरी में खाद खरीदने को मजबूर हैं। सहकारिता विभाग की घोर लापरवाही से किसान “करो या मरो” जैसी स्थिति में पहुंच गए हैं।
“करो या मरो की स्थिति”
खाद की किल्लत को लेकर किसान खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।
- स्थानीय किसान रामलाल साहू ने कहा – “शासन की घोर लापरवाही है। मजबूरी में हमें 265 रुपये वाली यूरिया 700 से 800 रुपये में खरीदनी पड़ रही है। अगर समय पर खाद नहीं मिली तो फसल बर्बाद हो जाएगी।”
- किसान सुरेश पटेल का कहना है – “एक तरफ बारिश की कमी से खेती प्रभावित है, दूसरी तरफ खाद संकट ने हमारी कमर तोड़ दी है। शासन किसानों को ‘करो या मरो’ की स्थिति में धकेल रहा है।”
आर्थिक संकट में फंसे किसान
बारिश की कमी और खाद संकट ने मिलकर किसानों के लिए दोहरी मार खड़ी कर दी है। एक ओर फसल सूखने का खतरा है, दूसरी ओर महंगे खाद ने किसानों की जेब पर बोझ डाल दिया है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर खाद उपलब्ध नहीं हुई तो इस बार क्षेत्र की पैदावार पर गहरा असर पड़ सकता है।
👉 किसानों ने शासन और सहकारिता विभाग से तत्काल प्रभावी कदम उठाने, पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध कराने और बाजार में काला बाजारी रोकने की मांग की है।