बसना, छत्तीसगढ़ | 1 जून 2025
बसना मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुडेकेल नाला आज गंभीर जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है। इस मार्ग से प्रतिदिन अरेकेल, जमड़ी, पोटापारा, सिरको जैसे ग्रामों से सैकड़ों यात्री आवागमन करते हैं। लेकिन नाले की जर्जर स्थिति के चलते अब यह मार्ग पूरी तरह बाधित हो चुका है।
मानसून पूर्व ही नाले की हालत बदतर हो गई है कि बाइक, साइकिल तक निकालना दूभर हो गया है। मुरुम डालकर किसी तरह रास्ता बनाया गया है, लेकिन वह भी जान जोखिम में डालकर पार किया जाता है। भारी बारिश के चलते पिछले तीन दिनों में नाले में पानी का बहाव बढ़ा है और बचा-खुचा पुलिया भी ढहने की कगार पर है।
अधिकारी और जनप्रतिनिधि बने मूकदर्शक
स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को इस गंभीर समस्या की जानकारी होते हुए भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। कांग्रेस सरकार के समय भी आश्वासन दिए गए और वर्तमान भाजपा सरकार ने भी चुनाव के समय विकास का वादा किया, लेकिन कार्य अब तक शुरू नहीं हुआ।
ग्रामीणों ने पूर्व चुनाव में मतदान बहिष्कार तक किया था, इसके बावजूद उनकी पीड़ा को नजरअंदाज किया गया।
इमरजेंसी सेवा बाधित, नाराज ग्रामीणों का फूटा गुस्सा
ग्रामीणों ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि मार्ग बंद होने के कारण इमरजेंसी स्थिति में एंबुलेंस तक गांव नहीं पहुंच पा रही है। स्कूली बच्चे, महिलाएं, वृद्धजन सभी इसी मार्ग से यात्रा करने को मजबूर हैं, जिससे कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही नाले की मरम्मत का कार्य प्रारंभ नहीं किया गया तो आने वाले समय में नेता, मंत्री और अधिकारियों का गांव में प्रवेश वर्जित कर दिया जाएगा।
10 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर
इस मार्ग के बाधित होने से यात्रियों को बसना तक पहुंचने के लिए लगभग 10 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ रहा है, जिससे समय और धन दोनों की बर्बादी हो रही है।
मांग: तत्काल स्थायी पुलिया निर्माण
ग्रामीणों की मांग है कि कुडेकेल नाले पर जल्द से जल्द स्थायी पुलिया का निर्माण कराया जाए, ताकि मानसून के दौरान होने वाले खतरे से बचा जा सके और गांवों का मुख्यालय से संपर्क बहाल हो सके।
संवाददाता: अरुण साहू
स्थान: बसना, महासमुंद
