“जीवन का असली धन: रिश्ते, खुशियां और संतोष”

समाज को संदेश: जीवन के असली मूल्य को समझें

धन, शोहरत और सफलता, ये शब्द किसी भी व्यक्ति के जीवन का सपना हो सकते हैं। लेकिन क्या यह सब जीवन की सच्ची खुशी और संतोष की गारंटी दे सकते हैं? प्रसिद्ध निवेशक और ‘बिग बुल’ के नाम से मशहूर राकेश झुनझुनवाला के जीवन के अंतिम शब्द हमें इस सवाल का जवाब देने का रास्ता दिखाते हैं।

उनकी संपत्ति: ₹4,85,56,75,90,000.00/- (चार खरब पिच्चासी अरब छप्पन करोड़ पचहत्तर लाख नव्वे हजार रु) होने के बावजूद, उनकी जीवन की अंतिम स्वीकारोक्ति यह थी कि पैसों से खुशी नहीं खरीदी जा सकती।

उनके शब्दों में:

1. “खोई हुई चीज़ें वापस मिल सकती हैं, लेकिन खोया हुआ जीवन कभी नहीं लौटता।”


2. “परिवार, दोस्तों और अपनों के साथ समय बिताना ही सच्ची खुशी है।”


3. “स्वास्थ्य, आज़ादी और समय सबसे मूल्यवान चीज़ें हैं। इनका आदर करें।”



जीवन की सच्चाई पर उनके संदेश:

घड़ी ₹300 की हो या ₹3 लाख की, समय एक ही दिखाती है।

गाड़ी ₹5 लाख की हो या ₹50 लाख की, मंज़िल एक ही होती है।

300 वर्गफुट के घर में रहें या 3000 वर्गफुट के, अकेलापन समान ही महसूस होता है।


जीवन का सही उद्देश्य:

बच्चों को अमीर बनने की शिक्षा देने के बजाय खुश रहना सिखाएँ। उन्हें चीज़ों की लागत नहीं, उनका मूल्य समझने दें।

समाज के लिए संदेश:

इस संदेश को समाज में फैलाने का उद्देश्य है कि लोग जीवन के असली मूल्य को समझें। धन और भौतिक सुख-सुविधाओं के पीछे भागने की बजाय परिवार, रिश्तों और आत्मिक शांति को प्राथमिकता दें।

चलो, अपने जीवन में विनम्रता, प्रेम और सद्भावना को अपनाएँ।
हर व्यक्ति अपने हिस्से की खुशी बांटे और समाज को बेहतर बनाने की ओर कदम बढ़ाए।

सबका मंगल हो। सबका कल्याण हो। सभी प्राणी सुखी रहें।
(यह खबर आपके लिए प्रेरणा का स्रोत है। इसे दूसरों तक जरूर पहुँचाएँ।)

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