संवाददाता, [अरुण साहू] | ग्रामीण क्षेत्रों में रबी फसल किसानों की आय का प्रमुख स्रोत है, लेकिन इस वर्ष भूजल स्तर में भारी गिरावट ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि कई किसान मजबूर होकर अपनी फसलें छोड़ने को तैयार हैं।
हमारे संवाददाता ने जब किसानों से बातचीत की, तो उन्होंने बताया कि सिंचाई के लिए आवश्यक पानी की भारी कमी हो रही है। भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है, जिससे ट्यूबवेल और कुएं बेकार साबित हो रहे हैं। साथ ही, लो वोल्टेज की समस्या ने भी किसानों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है। बिजली की आपूर्ति सही तरीके से न होने के कारण मोटर पंप ठीक से नहीं चल पा रहे, जिससे सिंचाई व्यवस्था चरमरा गई है।
स्टॉप डेम की आवश्यकता, समाधान की ओर बढ़ते कदम
विशेषज्ञों का मानना है कि जल संकट का समाधान निकालने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे। छत्तीसगढ़ में महानदी का पानी उड़ीसा चला जाता है, जिससे जल स्तर में गिरावट आती है। यदि महानदी पर जगह-जगह स्टॉप डेम बनाए जाएं, तो पानी को रोका जा सकता है और जलस्तर में सुधार किया जा सकता है। इससे न केवल किसानों को राहत मिलेगी, बल्कि आने वाले वर्षों में जल संकट की समस्या भी काफी हद तक कम हो सकती है।
कर्ज में डूब रहे किसान, सरकार से मदद की उम्मीद
खेती के लिए किसान अक्सर कर्ज लेते हैं, ताकि वे अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकें। लेकिन जल संकट और कम उत्पादन के कारण उनकी स्थिति और खराब हो रही है। फसल खराब होने की वजह से वे कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं। किसान संगठनों का कहना है कि सरकार को जल संरक्षण और किसानों के लिए विशेष योजनाएं लागू करनी चाहिए, जिससे वे इस संकट से बाहर निकल सकें।
किसान हितैषी नीति की जरूरत
किसानों की इस विकट स्थिति को देखते हुए सरकार को जल्द से जल्द प्रभावी नीति बनाने की आवश्यकता है। जल स्तर को बनाए रखने के लिए व्यापक जल संरक्षण योजनाएं लागू की जानी चाहिए, ताकि आने वाले समय में किसानों को इस समस्या से न जूझना पड़े।
जल संकट का प्रभाव किसानों की आजीविका पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ रहा है। यदि समय रहते उचित समाधान नहीं निकाला गया, तो आने वाले समय में यह समस्या और गंभीर हो सकती है। सरकार और प्रशासन को जल्द से जल्द किसानों की समस्याओं का समाधान निकालकर जल संरक्षण पर ध्यान देना होगा, ताकि कृषि व्यवस्था मजबूत बनी रहे और किसान आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें।
