पिथौरा ग्रामीण
पिथौरा वन परिक्षेत्र के जंगल इन दिनों मौत के सन्नाटे से गुज़र रहे हैं। महज एक सप्ताह में तीन चीतलों की रहस्यमयी मौत ने वन विभाग की कार्यशैली और जिम्मेदारी पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है। बुंदेली, भिथीडीह और गिरना जंगलों से मिली चीतलों की लाशें न केवल वन्य जीवन पर संकट का संकेत हैं, बल्कि विभाग की सुस्त निगरानी और लापरवाह रवैये का भी जीता-जागता प्रमाण हैं।
बुंदेली कक्ष क्रमांक 220 में मिली चितल का शव, सूचना में दो दिन की देरी
ताजा मामला बुंदेली के जंगल का है, जहां कक्ष क्र. 220 में एक चीतल मृत अवस्था में पाया गया। चौंकाने वाली बात यह रही कि वन विभाग को इस घटना की जानकारी दो दिन बाद, मंगलवार देर शाम को मिली। इससे पहले गिरना जंगल में भी इसी तरह की घटना हो चुकी है, जिसकी जानकारी भी विभाग तक देरी से पहुंची थी।
जहरखुरानी और खूंखार कुत्तों के हमले से मौत का संदेह
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि बुंदेली के कक्ष क्र. 220 में चीतल के साथ-साथ एक बैल की भी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई है। आशंका है कि दोनों की मौत जहरखुरानी से हुई। वहीं भिथीडीह के जंगल (कक्ष क्र. 243) में मरे चीतल की मौत खूंखार कुत्तों के हमले से बताई जा रही है।
अधिकारी बोले- पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद होगी कार्रवाई
प्रभारी वन परिक्षेत्र अधिकारी सालिक राम डड़सेना का कहना है कि मौत के कारणों का खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही हो सकेगा। लेकिन तब तक सवाल यह है कि और कितने मासूम वन्य प्राणी इस लापरवाही की भेंट चढ़ते रहेंगे?
न निगरानी, न तत्परता – वन विभाग की कार्यशैली पर उठे सवाल
एक के बाद एक तीन चीतलों की मौत के बावजूद वन विभाग की निष्क्रियता चौंकाने वाली है। न तो जंगलों में समय पर पेट्रोलिंग हो रही है और न ही घटनाओं की जानकारी विभाग को समय रहते मिल पा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि विभाग की लापरवाही से वन्य प्राणियों को सुरक्षित वातावरण नहीं मिल पा रहा।
मौतों पर सियासत, जवाब से बचते अधिकारी
जब इस गंभीर मामले में हमारे संवाददाता ने अधिकारियों से सवाल किए, तो अधिकांश अधिकारी जवाब देने से कतराते नज़र आए। उप वनमंडलाधिकारी यू.आर. बसंत ने कहा कि आरोपियों पर कार्रवाई की जाएगी, लेकिन विभागीय कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय करने से उन्होंने इनकार कर दिया।
बुंदेली के मृत चीतल का गायब था एक पैर
बुंदेली में मृत पाए गए चीतल का एक पैर गायब था, जिससे आशंका है कि जहरखुरानी से मौत के बाद शव को जंगली कुत्तों ने नोंच डाला। यह दृश्य वन्य जीवन की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता पैदा करता है।
जंगलों की चुप्पी और विभाग की नाकामी
पिथौरा वन परिक्षेत्र में हो रही लगातार मौतें वन विभाग की विफलता की गवाही दे रही हैं। अगर विभाग ने जल्द कदम नहीं उठाए, तो जैव विविधता पर संकट और गहराएगा। सवाल यह है कि कब जागेगा वन विभाग?
जंगल की पुकार को सुनिए… इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।
