कोसरंगी पंचायत, जिला महासमुंद 📍
“जहाँ वेदों की गूंज से गूंजता है जंगल, वहां बसती है कोसरंगी की पहचान”

🌿 पंचायत विशेष 🌿
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गुरुकुल आश्रम से रोशन कोसरंगी, देश के दूरदराज राज्यों से बच्चे सीख रहे वेद और शास्त्र

महासमुंद से महज 9 किलोमीटर दूर नेशनल हाईवे 353 के नजदीक बसा कोसरंगी गांव आज पूरे देश में भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा के प्रचार-प्रसार का केंद्र बन गया है। वेस्टर्न एजुकेशन और आधुनिक चकाचौंध के इस युग में यह पंचायत गुरुकुल परंपरा के जरिए अपने संस्कार और संस्कृति की जड़ें मजबूत कर रहा है।

यहां का “गुरुकुल आश्रम कोसरंगी” आज केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि असम, ओडिशा, नागालैंड, बिहार, मेघालय जैसे दूरस्थ राज्यों के बच्चों के लिए शिक्षा, संस्कार और जीवन-निर्माण का एक आदर्श स्थल बन गया है।


गुरुकुल की विशेषता

इस आश्रम की स्थापना वर्ष 2004 में स्वामी धर्मानंद सरस्वती द्वारा की गई थी। आश्रम के उद्घाटन के शुभ अवसर पर योगगुरु स्वामी रामदेव भी पहुंचे थे और उन्हीं के करकमलों से इसका शुभारंभ हुआ। शुरूआत में जहाँ सिर्फ 8 विद्यार्थी थे, वहीं आज गुरुकुल में 140 से अधिक छात्र वेद, संस्कृत, शास्त्र, योग, आचार-विचार, अनुशासन और शस्त्र संचालन जैसे पारंपरिक विषयों की शिक्षा ले रहे हैं।

गुरुकुल के मुख्य आचार्य मुकेश जी बताते हैं कि यहां शिक्षा के साथ-साथ जीवन शैली भी पूर्णतः वैदिक है।


गुरुकुल की दिनचर्या

  • प्रातः 4 बजे जागरण
  • योग, ध्यान, सूर्य नमस्कार
  • वेदपाठ, हवन, संस्कृत अध्ययन
  • शास्त्र, गणित, इतिहास सहित आधुनिक विषयों की शिक्षा
  • रात्रि 9:30 बजे विश्राम

यहाँ 11 विद्वान आचार्य विद्यार्थियों को शिक्षा दे रहे हैं। कक्षा 6वीं से 12वीं तक के छात्र गुरुकुल पद्धति से पढ़ाई करते हैं, और साथ ही CBSE/छत्तीसगढ़ बोर्ड के अनुसार भी पाठ्यक्रम में पारंगत होते हैं।


पंचायत प्रोफाइल : कोसरंगी

  • 🌾 कुल जनसंख्या : लगभग 2500
  • 🧠 साक्षरता दर : लगभग 80 प्रतिशत
  • 🛣️ जिला मुख्यालय से दूरी : 9 किमी
  • 🚗 कनेक्टिविटी : नेशनल हाईवे 353 से जुड़ा
  • 🌟 मुख्य पहचान : गुरुकुल आश्रम

गांव की आत्मा में बसा है यह आश्रम

कोसरंगी न केवल शिक्षा का केंद्र बन गया है बल्कि आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों का जीवंत उदाहरण भी है। गुरुकुल में पढ़ने वाले शिष्य न केवल विद्वान बनते हैं, बल्कि एक आदर्श नागरिक, तपस्वी और संस्कृति रक्षक के रूप में भी समाज में योगदान दे रहे हैं।


📌 पंचायतनामा की अगली कड़ी में जानेंगे किसी और गांव की विशेष कहानी…

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